Priyanka06

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लेखनी कहानी -06-Oct-2022 ससुराल में मायके की याद

शीर्षक- ससुराल में मायके की याद
विषय-
ससुराल तो होता भले हमारा,
मायके में है बचपन का पिटारा।

जब भी करते बच्चे मस्ती,
याद आती हमारे बचपन की हस्ती।

सामने आता वह तस्वीर,
जो होते मायके की धूप छांव के गीत।

बड़ा ही होता मनोरम पल,
आंखों के सामने कभी ना होता अदृश्य।

ससुराल में हो जाते बड़े,
मायके में होते अभी भी बच्चे।

जब भी आते वार त्यौहार,
मायके की याद करती मनुहार।

ससुराल में बनाते पड़ते  पकवान,
मायके मम्मी पूछती क्या बनाऊं स्पेशल आज।

देखते ही मुंह में आ जाता पानी,
जल्दी दो पकवान चूहे खेल रहे अठड़ी।

जब आता कोई उत्सव,
भागे भागे जाते हम।

मन में भर जाता उत्साह,
आंखें हो जाती खुशियों से चार।

ससुराल की बातें हम बताते,
रखते हम मन को बांधे।

जाने का करता मन,
फिर भी पीछे हटाते कदम।

देख यह सब बातें,
मायके की याद में भर जाती आंखें।

ससुराल और मायका है नदी का किनारा,
दोनों की जीवन में बहती धारा।

एक जगह बनाता अस्तित्व,
दूसरी जगह बचाता अस्तित्व।

मायके की याद सावन की फुहार,
ससुराल का काम जीवन का श्रृंगार।

ससुराल में नहीं कर सकती मनमानी,
मायके में हर बात में करते थे आनाकानी।

इन सब बातों को करके याद,
ताजा हो जाती मायके की बात।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
नॉनस्टॉप प्रतियोगिता2022 भाग 26

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8 Comments

Pratikhya Priyadarshini

09-Oct-2022 01:13 AM

Bahut khoob 💐👍

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Renu

07-Oct-2022 08:26 PM

Bahut hi sunder 👌👌

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Swati chourasia

07-Oct-2022 06:50 PM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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